सगी बहन को बस मे चोदा
नमस्कार मेरे प्यारे दोस्तो कैसे है आप,
मै आपका दोस्त रविराज उर्फ़ राजेश
फ़िर एकबार एक नई कहानी के साथ हाजीर हू।
अब मै तुम्हारा जादा टाईम ना लेते हुये
सिधा अपनी bus sex kahani पर आता हू,
आप सबको तो मालुम ही है की मै कितना चुद्दकड हू।
और मेरे चुदाई की शुरुवात मेरी अपनी दिदीसे हुई है।
मुझे मेरी दिदीने चोदना सिखाया है।
आपको ये भी मालुम है की मुझे दो बहने है,
और दोनो भी बडी चुद्दकड है।
वो दोनो हर रात मुझसे चुदवाती थी।
मेरा एक भी दिन उन्हे चोदे बगैर नही जाता था।
और एक बात,आपने मेरी पिछली कहानी मे पढी होगी,
हर दिवाली को मेरी मोसेरी बहन सुमन हमारे घर आती थी,
उसे भी मेरी दिदीने मुझसे चुदवाया था।
वो भी मेरे लंड की दिवानी थी।
तो प्यारे दोस्तो मैने आपको पिछली कहाणी मे बताया था,
मेरी दोनो बहनोंकी शादी हो चुकी थी।
और मेरे बडे भैय्या की भी छे महिने
के पहले शादी हो गयी थी।
उसकी बिवी यानी मेरी भाबी भी एकदम
मेरे दिदी जैसी खुबसुरत थी।
एकदम पटाखा माल्। उसके बडे बडे मम्मे,
नाजुक कमर और उसकी फ़िगर देखकर मुझे
मेरी दिदी की बहुत याद आती थी।
लेकीन मै कुच्च भी नही कर सकता था।
मेरे पास चुदाई का कुछ भी जुगाड नही था।
और चुत के बिना मेरा कही भी दिल नही लगता था।
क्या करे मेरे कुछ समझ मे नही आ रहा था।
ऐसे ही दिन गुजर रहे थे।
मै हर रात चोरीसे भैय्या भाबी की चुदाईके सिन
देख कर मुठ मारके सो जाता था।
गर्मियोंकी छुट्टीयोमे मेरी महाचुद्दकड बहन स्वाती दिदी हमारे घर
कुछ दिनोंके लिये आनेवाली थी।
मैने माँ को बता दिया की उसे लेने
के लिये मै ही जानेवाला हू।
माँ को कुछ ऐतराज नही था। माँ ने हा कर दी।
और मेरी मम्मी ने दिदी को मेरे आने की खबर देदी।
फ़िर उसी दिन मै दिदीको लेने निकल गया।
जब मै स्वातीदिदी के घर पे पहुंच गया तो घर पे
दिदी और उसकी सांस ये दोनोंही थे, घर मे
इन दोनोंके अलावा और कोइ भी सदस्य नही था।
घर मे कोइ रहे ना रहे इससे मुझे कोइ लेना देना नही था।
मै बहुत खुश था। मुझे देखते ही दिदी पाणी ले कर आ गयी।
वो भी बहुत खुश दिख रही थी। मै वहा पहुन्चने से पहले
ही दिदीने निकलने की पुरी तय्यारी कर रखी थी।
दिदीने मेरे लिये चाय बनाई। चाय पिने के बाद हम लोग निकल गये।
लेकीन उसकी सास बोली, “क्या कर रही है तू ? रवी अभी अभी तो आया है।
मेरी गरमा गरम दीदी
और तु लगेच उसे लेके जा रही है। मै तुम्हे ऐसे थोडे ही जाने दुंगी।
पहले कुछ खाओ पिओ और फ़िर चले जाना। तुम्हे मना कोन कर रहा है।”
मै मना करने लगा, लेकिन उसने मेरी एक ना सुनी।
और फ़िर वो बाजार से कुछ लाने के लिये चली गयी।
दिदीकी सास घरसे बाहर जाते ही मै दिदी को लिपट गया।
मैने दिदी की एक बडी चुम्मी ले ली।
और मै दिदीके बदन पे हाथ फ़िराने लगा।
मदहोश होकर मै दिदीके बडे बडे मम्मे दबाने लगा।
दिदीकी साँस फ़ुल गयी थी।
उसकी की वजह से दिदी के मम्मे उपर नीचे हो रहे थे।
स्वातीदिदीने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने बेडरुम मे ले गयी ।
मैने दिदीको बेड पे लिटा दिया और दिदीकी साडी उपर करने लगा।
दिदीने निकर नही पहनी थी,
तो मैने दिदी से कहा,”दिदी क्या तुम निकर नही पहनती हो?”
वो बोली,”अरे बुद्धू तुम आनेवाले हो ये बात मुझे मालुम थी ना,
ईसलिये तुम्हारे स्वागत के लिये निकल रखी है।
और दिदीने मेरा हाथ आपनी चुत पे रख दिया,
फ़िर मुझे अपने उपर खींच के मुझे चूमने लगी।
मैने अब दिदीके पैरो के बीच मे बैठ गया।
उ्सके पैरो को फैला कर उसकी चूत को अपने हाथ से
फैला के उसकी चूत के अंदर वाले हिस्से को देखने लगा।
दिदी बोली,आज इस चूत की गर्मी बुझा दो।
मेरी चूत का कचूमर बना दो।
आआअहह चोदो आआअहह आआआअहह हा हा।
मै दिदीकी चुत पर मेरी उंगलीया घुमा रहा था।
और एक हाथ से दिदीके मम्मे दबा रहा था।
दिदी को मजा आ रहा था।मैं और तेज़ दबाने लगा।
स्वातीदिदी तेज़ आहे भरने लगी……..
.अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह या आआआअह्ह्ह्ह्ह उह्ह्हुहुहू अह।
फिर मैं दिदीके मम्मे को मुँह में लेकर चूसने लगा ………..
मै दिदीकी साड़ी हटा कर पूरा नंगा करना चाहता था।
लेकीन दिदीकी सासु मा आने का डर था।
ईसलिये मैने दिदीकी साडी उसके शरिर पे रहेने दी।
और दिदीकि नंगी चुत के साथ खेलने लगा।
फ़िर मै उसके बदन पर हाथ फेरने लगा।
दिदी बोली – रवी ! बड़ा मज़ा आ रहा है।
मैं बोला- अभी तो असली मज़ा आना बाकी है मेरी जान ………
मैं ऊँगली से उसकी चूत के साथ खेलने लगा….
फ़िर मैने दिदी की चूत में लंड डालने लगा।
मुझे पता था कि दर्द नही होगा,
क्युंकी मेरी दिदी आज तक ना जाने कितने लंडोंसे खेल चुकी थी।
सो मैंने मेरा लंड एक्दम से दिदी की चुत मे से घुसा दिया।
एक पल के लिये दिदीका मुह खुल गया।
उसने अपने ओठ काटे और मजे लेने लगी।
मै उसके मम्मों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा।
इसी के साथ एक हाथ उसकी चूत के ऊपर घुमाने लगा।
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